कुरूक्षेत्र के सात वनों में से एक फलकीवन महान पुण्य प्रदान करने वाला है। वर्तमान में यही फलकीवन फल्गु तीर्थ के नाम से सुशोभित एवं प्रसिद्ध है। फलकीवन (फल्गु तीर्थ) से ही इस गांव का नाम भी फरल पड़ा। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, वामन पुराण में स्पष्ट रूप से मिलता है।
फ़रल गाँव में श्री फल्क ऋषि मंदिर है। यहाँ महर्षि फल्क की संगमरमर की एक भव्य प्रतिमा स्थापित है। जिसकी देखभाल वंश परम्परा के अनुरूप वर्तमान में पंडित श्री जयगोपाल शर्मा कर रहे हैं। मंदिर परिसर के दक्षिण-पश्चिम में एक विशाल सरोवर है। लाखों श्रद्धालु यहां पितरों के निमित श्राद्ध करते हैं। इसी श्राद्ध को पितृकर्म या पिंडदान कहा जाता हैं।
हरियाणा के कैथल जिले के गांव फरल में स्थित यह तीर्थ स्थान कैथल से 25 कि0मी0, कुरूक्षेत्र से 27 कि0मी0 और पेहवा से 20 कि0मी0 ढाण्ड-पूण्डरी मार्ग पर लगभग दोनों के मध्य स्थित है।
नजदीक के रेलवे स्टेशन पेहोवा रोड, कैथल और कुरुक्षेत्र हैं। यह तीर्थ स्थान नई दिल्ली से 188 कि0मी0 और चंडीगढ से 115 कि0मी0 दूर है। जबकि इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट नई दिल्ली से दूरी 197 कि0मी0 है।